हद ना थी उसकी मोहब्बत की मेरे खातिर, आज उन्हें मोहब्बत के नाम से नफरत है, क्या मंजर पेश आया होगा मेरे सनम के साथ, के आज उन्हें हमसे इस कदर नफरत है…
कभी वो दूर जाने की बात से भी डरते थे आज उन्हें हमारे करीब आने से नफरत है, कभी याद करते थे तो खाना पीना भूल जाते थे, आज उन्हें हमारी यादो से भी नफरत है….
क्या मंजर पेश आया होगा मेरे सनम के साथ, के आज उन्हें हमसे इस कदर नफरत है…
सालो बाद उनसे मिलने का समां केसा होगा, मैं याद भी हूँ उसे या वो भूल चूका होगा, इस जनम ना सही, मिलेंगे फिर किसी जनम में जैसे गुल से गुल मिले हो एक प्यार भरे चमन में
अभी कुछ दूरियां तो कुछ फांसले बाकी हैं, पल-पल सिमटती शाम से कुछ रौशनी बाकी है, हमें यकीन है कि कुछ ढूंढ़ता हुआ वो आयेगा ज़रूर अभी वो हौंसले और वो उम्मीदें बाकी हैं।
कदम कदम पे बहारों ने साथ छोड़ दिया, पड़ा जब वक़्त तब अपनों ने साथ छोड़ दिया, खायी थी कसम इन सितारों ने साथ देने की सुबह होते देखा तो इन सितारों ने साथ छोड़ दिया।
ऐ खुदा बुला ले अब तो अपने पास मुझे, क्यों मुझसे तू और इम्तेहान लिए जाता है, अब किसी को जरुरत नहीं है जहाँ में मेरी ये इंसान यहाँ पर बेमतलब जिए जाता है.