हद ना थी उसकी मोहब्बत की मेरे खातिर, आज उन्हें मोहब्बत के नाम से नफरत है, क्या मंजर पेश आया होगा मेरे सनम के साथ, के आज उन्हें हमसे इस कदर नफरत है…
कभी वो दूर जाने की बात से भी डरते थे आज उन्हें हमारे करीब आने से नफरत है, कभी याद करते थे तो खाना पीना भूल जाते थे, आज उन्हें हमारी यादो से भी नफरत है….
क्या मंजर पेश आया होगा मेरे सनम के साथ, के आज उन्हें हमसे इस कदर नफरत है…
सालो बाद उनसे मिलने का समां केसा होगा, मैं याद भी हूँ उसे या वो भूल चूका होगा, इस जनम ना सही, मिलेंगे फिर किसी जनम में जैसे गुल से गुल मिले हो एक प्यार भरे चमन में
ये जरुरी नहीं की इंसान दिखने में अच्छा हो बहुत ही ख़ूबसूरत और सुन्दर हो कमाई में ज्यादा और नामी हो असल में वही इंसान अच्छा होता हैं जो जरुरत पड़ने पे सदा आपके साथ हो
उनकी खामोश नज़रो ने उनका हाल ए दिल बयां कर दिया, रुके हुए अल्फाज़ो को हमने उनकी मुस्कराहट में पड़ लिया शरमा गए वो इस कदर अपनी इकरार ए मोहब्बत में, लगकर सीने से मेरे उन्होंने अपना जहां मेरे नाम कर दिया !!