इश्क़-ए-महफ़िल में हम भी एक साज़ सुनाने आये हैं,
आज उनकी यादों को दिल की दीवारों से मिटाने आये हैं,
खेलकर चले गए मेरे दिल की वफाओ से खिलौना समझकर
इसीलिए बेवफा उन्हें हम आज सरे आम कहने आये हैं..!!
इश्क़-ए-महफ़िल में हम भी एक साज़ सुनाने आये हैं,
आज उनकी यादों को दिल की दीवारों से मिटाने आये हैं,
खेलकर चले गए मेरे दिल की वफाओ से खिलौना समझकर
इसीलिए बेवफा उन्हें हम आज सरे आम कहने आये हैं..!!
Very nic
Wah! Wah! Bahut Khub… very nice
सुरज उगती है पुरव की ओर से
नया साल मुबारक़ होआनन्द भयै की ओर से