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मेरे सनम को हमसे इस कदर नफरत

हद ना थी उसकी मोहब्बत की मेरे खातिर,
आज उन्हें मोहब्बत के नाम से नफरत है,
क्या मंजर पेश आया होगा मेरे सनम के साथ,
के आज उन्हें हमसे इस कदर नफरत है…

कभी वो दूर जाने की बात से भी डरते थे
आज उन्हें हमारे करीब आने से नफरत है,
कभी याद करते थे तो खाना पीना भूल जाते थे,
आज उन्हें हमारी यादो से भी नफरत है….

क्या मंजर पेश आया होगा मेरे सनम के साथ,
के आज उन्हें हमसे इस कदर नफरत है…

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