दर्द भी वही और राहत भी वही,
मेरी मुश्किलें और, बुरी आदत भी वही
उसे भूलना हर सहर मक़सद है मेरा
हर सुबह फ़िर बेमतलब सी चाहत भी वही
दर्द भी वही और राहत भी वही,
मेरी मुश्किलें और, बुरी आदत भी वही
उसे भूलना हर सहर मक़सद है मेरा
हर सुबह फ़िर बेमतलब सी चाहत भी वही
very nice shayri I love it
Nice