ना तो जी पाती हु और ना ही मौत आती
ए-ज़िन्दगी क्यों मुझे है इतना आज़माती
जलती हर शाम और सुबह भुझती हुयी है मेरी
इस जिस्म में अब रूह को बड़ी घुटन सी होती
ना तो कोई तमंन्ना मेरी ना ही कोई आरज़ू रही
अब दिखावे की हँसी मुझसे हँसी नहीं जाती
आ मौत बनके मेरे मेहबूब, तू ही लगा गले….
के बस अब और ज़िन्दगी मुझसे संभाली नहीं जाती
I love sad love Shyari